"My father didn't tell me how to live; he lived, and let me watch him do it."
अब कौन मेरा ढाल बनेगा
कौन मुझे उबारेगा
कौन मेरी गलतियाँ बता कर
मुझको और संवारेगा
हर मुश्किल में आप खड़े थे पापा
बिल्कुल एक दोस्त की तरह
अब कैसे रह पाऊँगा पापा
मैं आपके बिना
कैसे सब सुलझाऊँगा
कैसे सब संभालूँगा
कैसे सबका सहारा बनूँगा
कैसे खड़ा हो पाऊँगा
कितना सोचा था, साथ रहेंगे
साथ सुबह टहलने चलेंगे
साथ अस्सी पर संगीत सुनेंगे
रोज़ आपसे बातें होगी
झगड़े होंगे, पार्टी होगी
पर शिव की तरह आप भविष्य देख रहे थे
सारी योजना, आप अपने बाद की कर रहे थे
एक भी क्षण आपने आराम नहीं किया
सत्तर साल में अस्सी साल को आपने जिया
मैंने महादेव को देखा नहीं पर
उनके व्यक्तित्व से आपमें
कुछ अंतर नहीं देख पाया
योगी, करुणा, पुरुषार्थ, क्रोध
सब आपमें पाया
आप मेरे महादेव हो, महादेव की शरण अब आप जा रहे
रोक मैं पा नहीं रहा आपको, हर बार की तरह पापा
तरसूँगा मैं बहुत हर बार की तरह पापा
बस इस बार आप लौट कर नहीं आएंगे
हर पल बहुत याद आएंगे पापा
- प्रत्यूष