क्या यह सब सिर्फ भाग्य का खेल है ?
क्या मनुष्य किसी के हाथ की कठपुतली मात्र है ?
क्या वो अ पनी मेहनत से पा सकता है असंभव भी ?
या वो भी लिख दिया गया है उसके जन्मने से पहले ?
जो आता है इस धरा पर उसे जाना तो है
पर जाओ तो कुछ ऐसा करके की, दुनिया याद रख जाये
कुछ ऐसा करके की दुनिया, फिर वैसी ही ना रह जाये
यह सिर्फ अपने उत्थान से नहीं होगा
और यह भी सत्य है की पहले स्वयं काबिल बनना होगा
और यह भी सत्य है की पहले स्वयं काबिल बनना होगा
लेकिन फिर समाज उत्थान में लगना ही होगा
उसके लिए राजनेता बनने या सत्ता का मिलना जरूरी नहीं
उसके लिए बस जन कल्याण का भाव मन मैं रखना होगा
और मेरा तेरा से बचना होगा
ये शरीर और पैसा तो साधन मात्र है , इसका स्वार्थ छोड़ना होगा
करोड़ों हृदयों को अपने कर्मों से छूना होगा
तब सार्थक होगा ये जीवन,
तब जाने के बाद भी याद रखेगी यह दुनिया
तब चाँद भी कह उठेगा
हाँ ऐसा भी एक मानव देखा मैंने इस धरा पर विचरते !
हाँ ऐसा भी एक मानव देखा मैंने इस धरा पर विचरते !
-प्रत्यूष
(सम्पादक: श्री मानस प्रकाश को कोटि कोटि धन्यवाद ! )
sir.. pdhne me kuch bna ni.. palle bhi kuch pda ni.. bt aapka likha h to zroor koi baat to hogi isme.. isi baat pr 5/5.!!!!!!!
ReplyDeleteHATS OFF Pratyush Sir..
Mishra Ji aab padhiye.. uss samay hui asuvidhayon ke liye khed hai !
Deleteawesome sir .....
ReplyDeletei have no words ....
hats off
Thanks solanki bhai !
Deletevery nice! I didn't know your write
ReplyDeleteThanks Mridu behna ! :)
Deletesir.. its truly beeeeeeeeeautiful... sir ji, iis article ka naam "CHAND" ki jagah "AANKH" hona chahiye tha.. an eye-opener.!!!!!!!!
ReplyDeleteThank you Misra ji ! :)
Deletewowww!! awesome!! :)
ReplyDeleteDhanyawad Aastha Ji !der se hi sahi par ab aate rajiyega :)
DeleteKya baat,kya baat...Kaafi free time hai tere paas...Achcha likha hai,likhte raho...
ReplyDeleteDhanyawaad Sunny Ji ! Likhne ke liye iccha ki jaroorat hoti hai samay to fir nikal hi aata hai :)Kosis rahegi ki aur likhoon :)
Deleteबहुत सुंदर,बस कभी कभी यह सोचना भी बंद करना होगा, सारे अच्छाई का काम क्या मैने ही करना होगा,आये हो तो दुनिया मे अच्छे काम करते जाओ ये चांद ऊँचाई से सब देखता होगा।
ReplyDeleteNice one
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