Monday, September 20, 2021

फिर मिलेंगे पापा

“Only in the agony of parting do we look into the depths of love.”

अलविदा पापा
जी भर आपने जिया, हर काम पूरा अपना किया
अपने जिद्द पर जिया, अपने जिद्द पर गए

पंचतत्व में आप विलीन हो गए
मणिकर्णिका की राख में आप मिल गए 
गँगा की लहरों में आप समा गए 

पता नहीं फिर कब आपसे मिल पाऊँगा
काशी की हवा और गँगा के पानी में 
आपको हमेशा महसूस करूंगा 

मेरी हर इच्छा आपने पूरी की
बस अपनी हिम्मत और जीवटता का आशीर्वाद दीजिए पापा
महादेव से यही विनती होगी 
की फिर आपका बेटा बन कर जन्म लूँ पापा

- प्रत्यूष

The Last Goodbye

Go forth, go forth upon those ancient pathways,
By which your former fathers have departed.
Thou shalt behold god Varuna, and Yama,
both kings, in funeral offerings rejoicing.
Unite thou with the Fathers and with Yama,
with istapurta in the highest heaven.
Leaving behind all blemish homeward return,
United with thine own body, full of vigor.

— Rigveda 10.14, Yama Suktam

Saturday, September 18, 2021

अलविदा पापा

"My father didn't tell me how to live; he lived, and let me watch him do it."


अब कौन मेरा ढाल बनेगा 
कौन मुझे उबारेगा 
कौन मेरी गलतियाँ बता कर 
मुझको और संवारेगा

हर मुश्किल में आप खड़े थे पापा
बिल्कुल एक दोस्त की तरह
अब कैसे रह पाऊँगा पापा
मैं आपके बिना 

कैसे सब सुलझाऊँगा
कैसे सब संभालूँगा
कैसे सबका सहारा बनूँगा
कैसे खड़ा हो पाऊँगा

कितना सोचा था, साथ रहेंगे
साथ सुबह टहलने चलेंगे 
साथ अस्सी पर संगीत सुनेंगे
रोज़ आपसे बातें होगी
झगड़े होंगे, पार्टी होगी 

पर शिव की तरह आप भविष्य देख रहे थे
सारी योजना, आप अपने बाद की कर रहे थे
एक भी क्षण आपने आराम नहीं किया
सत्तर साल में अस्सी साल को आपने जिया

मैंने महादेव को देखा नहीं पर 
उनके व्यक्तित्व से आपमें 
कुछ अंतर नहीं देख पाया
योगी, करुणा, पुरुषार्थ, क्रोध 
सब आपमें पाया
 
आप मेरे महादेव हो, महादेव की शरण अब आप जा रहे
रोक मैं पा नहीं रहा आपको, हर बार की तरह पापा
तरसूँगा मैं बहुत हर बार की तरह पापा
बस इस बार आप लौट कर नहीं आएंगे 
हर पल बहुत याद आएंगे पापा 

- प्रत्यूष 



पापा नहीं उठे

Life is what happens when you're busy making other plans.


पापा एक बार उठ जाइये
उठ कर मुझे गले लगाइये
फिर से मुझे बातें समझाइये
फिर से मेरा हाथ पकड़िये

बहुत सारी बातें अधूरी रह गयी हैं
उनको पूरा कर जाइये
बहुत से चीज़ें मैंने सीखी नहीं हैं 
उन्हें सिखला जाइये 

पापा, मुझे छोड़ कर मत जाइये
आप योद्धा हैं, मेरे हीरो हैं 
जीत कर वापस आइये
हमें अनाथ मत बनाइये 

बहुत कुछ बदल जायेगा 
पर आपके बिना कैसे जीया जायेगा 
मेरी गलतियाँ माफ कर जाइये
पापा आप लौट आइये

बहुत सारे सपने थे हमारे
उन्हें पूरा कर जाइये 
अपनी छाँव के नीचे 
मुझे फिर एक बार सुला जाइये

- प्रत्यूष



Tuesday, September 14, 2021

जिंदगी समझने की बारी है


“There are special people in our lives who never leave us …. even after they are gone.”

शरीर तिल तिल टूट रहा है, 
वापस से पंच तत्व में मिलने की तैयारी है 
आत्मा पिंजड़े से आज़ाद हो रही है,
फिर से परमात्मा में जुड़ने की बारी है

बारी बारी मोह के बंधन टूट रहे हैं 
मृत्युलोक से विदा की तैयारी है
अंग अंग टूट रहा, वेंटीलेटर जीवन को खींच रहा
मौत ही मुक्ति है, यह अहसास होने की बारी है

सामने बैठ कर असहाय देख रहा हूँ
पैसे से एक साँस भी खरीद नहीं सकते
अपनी औकात समझने की बारी है 
जब बुलावा आएगा, तो हर कोई जाएगा
यह बात समझने की बारी है

- प्रत्यूष 



Sunday, September 12, 2021

चालीस की उम्र

   Life is somewhere between hope & hard facts !

मृत्यु द्वार खड़ी है, कैसे उसे समझाऊँ
छोड़ दो मेरे पिता को, कैसे उसे भरमाऊँ
योद्धा को शिथिल देखना, मन को कसकाता है 
उसको हारता देख, दिल डूबा जाता है 

चालीस की उम्र भी अजीब है 
एक तरफ अस्त होता पिता, 
एक तरफ उदय होता पुत्र है

प्रारब्ध के आगे सब लाचार हैं 
अपनी बारी आने पर, 
सब चीज़ें बेकार हैं 

-प्रत्यूष