Thursday, November 18, 2021

माँ

 “The art of mothering is to teach the art of living to children.”

माँ से सीखा धैर्य
माँ से सीखा शौर्य
माँ से सीखा विश्वास
माँ से सीखा परिहास

माँ से सीखा स्वीकारना 
माँ से सीखा जरूरत पड़ने पर लड़ना
माँ से सीखा प्यार 
माँ से सीखा दुलार 

माँ से सीखा धर्म
माँ से सीखा कर्म 
माँ से सीखा दया 
माँ से सीख रहा हूँ अनुशासन

और यह सब माँ ने सिखलाया नहीं
माँ ने सब जी कर दिखाया

- प्रत्यूष 

Friday, November 12, 2021

नई सुबह

“There will come a time when you believe everything is finished; that will be the beginning.”

औरंगाबाद में अस्त हुआ सूरज आज काशी में निकला है 
जीर्ण शीर्ण चोले को छोड़ कर आज नया रूप निखरा है 
नए जोश से नया इतिहास फिर लिखा जाएगा
दुनिया देखेगी ऐसा काम किया जाएगा

अपने समय से हमेशा आगे सोचने वाले मेरे पापा
कभी हमें अपने सोच में नहीं बाँधने वाले मेरे पापा
हमें उड़ने को पूरा आसमान देने वाले मेरे पापा
उनकी सीख आगे की राह दिखाएगी 

इस झंझावात में रिश्तों का नया मतलब समझ आया है
परिवार, दोस्त, साथ काम करने वाले कुछ का रूप निखर आया है
उनके साथ को जिंदगी भर भूल नहीं पाऊँगा
उन रिश्तों की गहराई को अब समझ जाऊँगा

पापा का जाना और बचपन के घर का छूटना 
ऐसे घाव हैं जो कभी भर नहीं पाएंगे
पर दूसरों की छत और आसमान बनना है 
इसीलिए यादों को संजों कर आगे बढ़ना है

- प्रत्यूष


Sunday, November 07, 2021

अलविदा औरंगाबाद

“Nothing is ever really lost to us as long as we remember it.”

घर भी शायद रो रहा, मुझे आज सोने नहीं दे रहा 
घर में आखिरी रात नींद नहीं आ रही
जहाँ पिछले तीस सालों से सबसे प्यारी नींद आती थी
आज यादों का सैलाब मुझे सोने नहीं दे रहा

अब कोई पूछेगा की कहाँ से हो
तो अब औरंगाबाद नहीं कह पाऊँगा
पापा की कुर्सी खाली हो गई है
आज ये घर खाली हो जाएगा 

पापा के बिना ये घर खाली करना
पापा के जाने जितना ही दुख दे रहा है
मकान बदलते जाएंगे, लोग छूटते जाएंगे
जो भी आया है इस संसार में वो एक दिन चला जायेगा

उनके यादों के सहारे जिया जाएगा
अपना किरदार अदा किया जाएगा 
फिर अगली पीढ़ी को यादें सौंप कर 
खुद प्रत्यूष भी एक दिन चला जायेगा

- प्रत्यूष 

Thursday, November 04, 2021

जिंदगी और यादें

A moment lasts for seconds but the memories lasts forever.

जिंदगी फ़िल्म की तरह चल रही है
पीछे मुड़ कर देखो तो गुज़रे पल 
तस्वीरों की तरह दिखते फिर ओझल 
हो जाते हैं 
कुछ चमकीले तस्वीरें हैं, कुछ धुंधली  

आज आया हूँ अपना घर समेटने
उस कमरे से दादा की आवाज आ रही है
सोफे पर बैठे पापा दिख रहे हैं
छोटा मैं अपनी बहनों के साथ खेलता दिख रहा हूँ
साथ में पॉपी, पैंजी, जैकी, शेरू दिख रहे

कभी स्कूल के लिए सामान लगाता दिख रहा हूँ
कभी कॉलेज के लिए जाता दिख रहा हूँ
कभी शादी करके सौम्या को लाता दिख रहा हूँ 
कभी अपनी सारी बदमाशियाँ देख रहा हूँ

अगरबत्ती के धुंए की तरह
सब दिख रहे फिर ओझल हो जा रहे 
खुशबू सबकी आ रही, दिखाई कोई नहीं दे रहा 
यादों का यह सैलाब कभी हँसा रहा है, कभी बहुत रुला 

मुट्ठी से रेत सी फिसलती ये जिंदगी सिर्फ इस पल है, 
अगले पल का पता नहीं 
और पिछला धुंए की तरह उड़ चुका है 
सिर्फ रह गयी है उसकी खुशबू

- प्रत्यूष

Wednesday, November 03, 2021

मेरा घर

“Home is not a place…it’s a feeling.”

बचपन की यादों में भीगा मेरा वो घर
पापा के मेहनत से बना मेरा वो घर
माँ की दुलारों से सज़ा मेरा वो घर
अब हमेशा के लिए छूट रहा 

पापा का वो सिंहासन वाला सोफा
माँ को वो दोपहर को सोने वाला सोफा
पापा की बागवानी, माँ की तुलसी की देहरी
अब हमेशा के लिए छूट रहा

दादा, दादी का वो कमरा 
उनकी यादें, उनकी बातें 
जैकी, शेरू, नंदनी और बहुत से साथी 
सबकी यादों वाला मेरा वो घर 
अब हमेशा के लिए छूट रहा

बहनों के साथ गुज़रे बचपन के वो दिन 
उनसे झगड़े, उनके साथ मस्तियाँ
उनकी शादियाँ
उनके बच्चों की किलकारियाँ
यह सब देखने वाला मेरा वो घर 
अब हमेशा के लिए छूट रहा

लक्ष्मण जी, सुरेंद्र जी, खुर्शीद भईया
मनीष, मनोज, घुँघरू और माया
इनकी यादों से महका मेरा वो घर
अब हमेशा के लिए छूट रहा

कहीं भी रहा, सबसे प्यारी नींद उसी घर में आयी 
कभी भी फिसला, उसी घर में आ कर सँभला
स्कूल - कॉलेजों से जब मौका मिला 
भागा मैं अपने घर 
पूरे शहर का सबसे खूबसूरत था वो मेरा घर
अब हमेशा के लिए छूट रहा

बचपन मेरा छूट रहा
जड़ों से अपने मैं कट रहा 
निर्णय तो हमने ही लिया था 
पर पापा के बिना, उसको छोड़ना 
दिल बिल्कुल तोड़ रहा 

मकान तो बहुत बन जाएंगे 
पर मेरा घर हमेशा के लिए छूट रहा

- प्रत्यूष