सरलता से मुझे कुछ मिला नहीं
कठिनाई ही है सखा मेरी
पर लक्ष्य कोई बड़ा नहीं
हारा वही जो लड़ा नहीं
हीरे कोयले का भेद समझ
और स्वयं चमक हीरे की तरह
है बड़ा हुआ जो मुश्किल में
कोहिनूर बना वो पूरी तरह
यज्ञ में सदा विघ्न डालते असुर
विघ्नों को पार कर
असुरों का संहार कर
कठिनाइयों से हो पोषित
कर विश्व को सम्मोहित
-प्रत्यूष
संपादक श्री सेतु सिन्हा जी को कोटि कोटि धन्यवाद् ।

wow. nice work dear
ReplyDeleteThanks Tarun !
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