Not everything which is bad comes to hurt us
मैं वायरस नहीं शिक्षक हूँ
देवदूत, पैगम्बर हूँ , मैं जीवन सिखलाने आया हूँ
पैसे के पीछे भागती इस दुनिया को
अपने परिवार के साथ बिठाने आया हूँ
कम पैसों में भी खुशियाँ मिल सकती हैं
यह इनको सिखलाने आया हूँ
मैं वायरस नहीं शिक्षक हूँ
देवदूत, पैगम्बर हूँ , मैं जीवन सिखलाने आया हूँ
सिर्फ इंसान बंद हो जाएं तो, प्रकृति कैसे हँसती है
हवा, पानी, पहाड़, जानवर, चिड़िया कैसे चहकती है
जिन शहरों में धूल के गुबार थे,
वहाँ से आज हिमालय दिख रहा है
नदियों का जल फिर से वैसे कलकल करने लगा है
मैं यही दिखलाने आया हूँ
मैं वायरस नहीं शिक्षक हूँ
देवदूत, पैगम्बर हूँ , मैं जीवन सिखलाने आया हूँ
डरो मत मुझसे सीख लो, मैंने बहुतों को नहीं मारा
इससे ज्यादा इंसानों को तो इंसानों ने ही मारा
कभी आतंकवाद, कभी युद्ध,
कभी गाड़ियाँ ही टकराई हैं सड़कों पर
मैं तो तुम्हें सिर्फ नींद से जगाने आया हूँ
मैं वायरस नहीं शिक्षक हूँ ।
देवदूत, पैगम्बर हूँ , मैं जीवन सिखलाने आया हूँ
इंसानों को हैसियत मैंने है बतलाई
पृथ्वी के वे मालिक नहीं
जियें और सबको जीने दें
यही समझाने आया हूँ
मैं वायरस नहीं शिक्षक हूँ ।
देवदूत, पैगम्बर हूँ , मैं जीवन सिखलाने आया हूँ
बुद्ध, मोहम्मद, ईसा, राम की
बात नहीं समझे इसीलिए
इंसानों को थोड़ा डराने आया हूँ
मैं वायरस नहीं शिक्षक हूँ ।
देवदूत, पैगम्बर हूँ , मैं जीवन सिखलाने आया हूँ
- प्रत्यूष
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