Saturday, September 14, 2019

परिस्थितियों के बंधक

You can close your eyes to reality but not to memories

 जीवन की टूट गई डोर
करते रहे सारे जीवन होड़

जीवनचक्र से बँधे है सारे
तरह तरह के जिम्मेदारी निभाते
कभी बच्चों की तरह, कभी दोस्तों की तरह
कभी भाईयों की तरह कभी पति की तरह
कभी पिता की तरह, कभी नाना की तरह

हर मोड़ पर बदलती जाती हैं प्राथमिकताएं
कभी हम होते आकर्षण के केंद्र
कभी रौशनी हो जाती हमसे दूर
नेपथ्य में जाते उस अपने आप को
यह समझाना चाहिए कि आपका समय हो चुका है पूरा
आत्मा अमर है लेकिन समय हो चुका है बदलने को चोला

जन्म से एक ही सत्य है शाश्वत
उसे करना है आत्मसात
जो आया है उसे है जाना
अगर पूरी जिंदगी, रखा ये याद,
तो कभी पाप कर नहीं पाओगे
सभी रिश्ते सहेज कर निभाओगे
हँसते हुए आये थे और हँसते हुए ही जाओगे ।

- प्रत्यूष

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