जय जय बाबा शूलटंकेश्वर
कष्ट हरो हे भोले शंकर
ऋषि माधव के आश्रम में
तुम विराजे गंगा तीर
तुम काशी दक्षिण द्वार कहावें
स्कन्दपुराण भी महिमा गावैं
काशी खंड में वर्णन तेरे
यहां तो स्वयं महादेव पधारे
गंग प्रकोप से काशी बचाने
त्रिशूल अपना यहाँ है गाड़े
उन्मादी महाप्रलय से रक्षा को
देव - देवता तुम्हें पुकारे
काशी की रक्षा को तुमने
मांगे लिये दो वर भागीरथी से
स्पर्श मात्र करो काशी को
और बचाओ जलचरों से
बदल वेग-दिशा माँ गंगे
काशी दियो बचाये
सौम्य शांत उत्तरवाहिनी हो
वचन दियो निभाये
कष्ट हरो हे भोले शंकर
जय हो बाबा शूलटंकेश्वर
- प्रत्यूष
14/05/21 (अक्षय तृतीया)