(बोधि वृक्ष, बोधगया, बिहार ७ जुलाई २०१३ के बम धमाकों के बाद, बौद्ध मान्यताओं के अनुसार यह जगह ब्रहमांड का केंद्र है)
क्या सत्ता देश से बड़ी हो गयी ?
क्या राजनीति, राष्ट्रनीति से बड़ी हो गयी ?
आतंकवाद का रंग न भगवा न हरा होता है
सेकुलरवादियों, चिंगारी का खेल बुरा होता है !
सत्रह बार क्षमा का दान दिया था हमनें
पर जयचंद से गद्दारों ने निश्फलित किया हमें
आज तो जयचंदों की फ़ौज है खड़ी
और नैतिकता है चौराहे पर बिक रही
देश की सुरक्षा से कर रहे समझौते
और बना रहे आतंकियों को अपने बेटी - बेटे
मत करो यह खेल सेकुलरवादियों,
चिंगारी का खेल बुरा होता है
हजारों धर्मस्थल तोड़े और अमर जवान ज्योति को भी न बक्शा तुमने
लुटेरे बन कर आये थे तुम, भाई बना कर स्नेह लुटाया हमने
हमने तो "सर्वधर्म समभाव" का संस्कार है पाया
हजारों वर्षों से अनेकों को अपने घर में है बसाया
हम आज भी मिलजुल कर चाहते हैं रहना
पर "देश पहले" का भाव पड़ेगा रखना
ओ नेताओं तुष्टिकरण की नीति छोड़ो, आंतकी हमले रोको
कभी चीन हमें हडकाता है, कभी पाकिस्तान बम फोड़ के जाता है
और तुम रक्षा सौदों में दलाली खाते हो
आतंकी को वोट बैंक बना जाते हो
इस चिंगारी को दावानल बनने से रोको
सत्ता से देश बड़ा होता है
चिंगारी का खेल बुरा होता है
- प्रत्यूष
अनुजा प्रज्ञा, प्रिये मित्र सेतु और मानस मामा जी को सुझावों के लिए हार्दिक अभिनन्दन !
