जिन्दगी कितना हँसाती है
जिन्दगी कितना रुलाती है
उलझने बनाती है, सुलझाती है
जब सारे दरवाजे बंद करती है
तो एक खिड़की खोल जाती है
कभी सब कुछ असाध्य कर जाती है
कभी छप्पर फाड़ कर दे जाती है
पर हर रात के बाद सुबह आती है
और सुबह के बाद रात दे जाती है
जब हँस के खुशियाँ बटोरीं हैं
तो रो के दुःख भी समेटो
खुशियों के पल कम लगते हैं
और दुःख सदियों में फैले लगते हैं
पर जिन्दगी जब सारे दरवाजे बंद करती है
तो एक खिड़की खोल जाती है
खिड़की का मतलब जीना है
असाध्य को साधना है
तैयार होना है की जब दरवाजे खुलें
तो नयी हवायें उड़ा न दे हमें
क्यूंकि जिन्दगी ने हमारे सोच से
परे कि जिन्दगी देखी है
- प्रत्यूष
Challenges are inevitable
but defeat is optional !
